On the occasion of Hanuman
Jayanti, I wish to share that our
batchmate Dilip Talewar of B is a
great devotee of Lord Hanuman. He
is in managing committee of
Hanuman Temple of Lendra Park
Jayanti, I wish to share that our
batchmate Dilip Talewar of B is a
great devotee of Lord Hanuman. He
is in managing committee of
Hanuman Temple of Lendra Park
Ramdaspeth and every year
sponsors mahaprasaad to hundreads
and hundreads of devotees. Let us
congratulate him for noble work
and
wish well for future too. Happy Hanuman Jayanti to all.
Dilip Talewar: JAI SHREE HANUMAN,
Dear Friends
On the occasion of HANUMAN JAYANTI
You and your family are cordially invited to attend the MAHAPRASAD
today 23rd April at 7.30 pm
onwards, Place:- Hanuman Mandir Deosthan,
Lendra park, Ramdaspeth.
invitation |
invitation |
|| श्री हनुमान जन्माेत्सव ||
आमचं हनुमान मंदिर ३०० /४०० वर्ष जुने आहे .सर्वप्रथम कलश
स्थापना केली जाते . पहाटे ४ वा़जता मंदिरातील मुर्तीला पंचाम्रुताने
अभिषेक केला जाताे . त्यानंतर सकाळी ६ वा. हनुमान जन्मोत्सव
साजरा केला जाताे . नंतर राम संकिर्तन , भजन दिवसभर सुरु असते .
संध्याकाळी भव्य अशी शोभायात्रा काढली जाते ,ज्यात स्थानिक
आनंदाने सहभागी हाेतात . शेवटी महाप्रसादाचे वाटप केले जाते .
त्याचा लाभ ४ ते ५ हजार लाेक घेतात तसेच सहकार्य ही करतात .
- Dilip Talewar
miravanuk |
yatra |
palakhi |
Palakhi |
Bhavik |
1.
हनुमान जयंती एक हिन्दू पर्व होता है। यह चैत्र माह की पूर्णीमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है। श्री हनुमान जी की जयंती की तिथि के विषय में दो मत प्रचलित हैं 1) चैत्र शुक्ल पूर्णिमा 2) कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी!
हनुमत जयंती के दिन श्री हनुमान जी की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए हनुमान जी को रूद्र के आठ अवतारों में से एक माना जाता है। हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार थे।
रावण के विरुद्ध युद्ध में भगवान राम की मदद के लिए हनुमान का रूप धारण किया था। भगवान राम के प्रति हनुमानजी की निष्ठां, सेवा एवं भक्ति का सम्पूर्ण वर्णन रामायण में मिलता है।
भगवान राम त्रेतायुग में धर्म की स्थापना करके पृथ्वी से अपने लोक बैकुण्ठ चले गये। लेकिन भगवान राम ने धर्म की रक्षा के लिए प्रलय काल तक हनुमान को
पृथ्वी पर रहने का आग्रह किया। इसके लिए राम ने हनुमान ही को अमरता का वरदान दिया।
इस वरदान के कारण हनुमान जी आज भी जीवित हैं और भगवान के भक्तों और धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं। हनुमान जी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर
प्राप्त होते रहें जो इस बात को प्रमाणित करता है कि हनुमान जी आज भी
जीवित हैं।
16वी सदी के महान संत कवि तुलसीदास जी को हनुमान की कृपा से राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमान जी ने तुलसीदास जी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।
हनुमान जी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गये और
सभी आने जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आये तो
हनुमान जी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।' इस प्रकार तुलसीदा को राम जी के दर्शन हुए।
तुलसीदास की बढ़ती हुई कीर्ति से प्रभावित होकर अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया। तुलसीदास जी को अकबर ने कोई चमत्कार दिखाने के लिए कहा, जिसे तुलसीदास जी ने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर अकबर ने तुलसीदास को जेल में डाल दिया। जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान की अराधना शुरू कर दी।
इतने में चमत्कार यह हुआ कि बंदरों ने अकबर के महल पर आक्रमण कर दिया। बंदरों के उत्पात से अकबर भयभीत हो गया। अकबर को समझ में आ गया कि तुलसीदास जी को जेल में डालने के कारण हनुमान जी नाराज हो गये हैं। बंदरों के उत्पात का कारण यही है। अकबर ने संत तुलसीदास जी से क्षमा मांगी और उन्हें जेल से मुक्त कर दिया।
तुलसीदास जी से पहले हनुमान जी की मुलाकात त्रेतायुग में महाभारत युद्घ से पहले पाण्डु पुत्र भीम से हुई थी। भीम की विनती पर युद्घ के समय हनुमान जी ने पाण्डवों की सहायता करने का आश्वासन दिया था।
माना जाता है कि महाभारत युद्घ के समय अर्जुन के रथ का ध्वज थाम कर महावीर हनुमान बैठे थे। इसी कारण तीखे वाणों से भी अर्जुन का रथ पीछे नहीं होता था और संपूर्ण युद्घ के दौरान अर्जुन के रथ का ध्वज लहराता रहा।
किया था जिसके चलते हनुमान की ठुड्डी टूट गई थी जिसके कारण उन्हें हनुमान कहा जाता है।
आपको पता है कि हनुमान जी हमेशा लाल रंग में ही क्यों दिखायी देते हैं? एक बार बचपन में हनुमान जी ने अपनी मां को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखकर पूछा तो उनकी मां ने कहा कि वो अपने प्रभु यानी अपने पति को खुश करने और उनकी लंबी आयु के लिए अपनी मांग में सिंदूर लगाती है, इसलिए हनुमान जी ने सोचा कि जब चुटकी भर सिंदूर से ही मां के भगवान प्रसन्न हो सकते हैं तो मैं अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लगा लेता हूं, तभी से हनुमान जी हमेशा लाल सिंदूर में रंगे हुए दिखायी देते हैं।
हनुमानजी बुद्धि और बल के दाता हैं। उत्तरकांड में भगवान राम ने हनुमानजी को प्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति में निपुण आदि विशेषणों से संबोधित किया है। हनुमानजी बल और बुद्धि से संपन्न हैं। हनुमान को मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है, इसलिए मन्नत मानने वाले अनेक स्त्री-पुरुष हनुमान की मूर्ति की श्रद्धापूर्वक निर्धारित प्रदक्षिणा करते हैं। कई लोगों को आश्चर्य होता है कि, जब किसी कन्या का विवाह न तय हो रहा हो, तो उसे ब्रह्मचारी हनुमान की उपासना करने को कहा जाता है। चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।
2.
मारुती हे आपल्या पत्नी सोबत ।।।।अगदी दुर्मिळ फोटो आहे। त्यांचे मंदिर हे कर्नाटक मधील खम्माम याच ठिकाणी आहे।।
🌞☀। जय श्रीहनुमान । ☀🌞
आपणास माहीत आहे का ?
मारुती विवाहीत होता !!
🌞☀। जय श्रीहनुमान । ☀🌞
आपणास माहीत आहे का ?
मारुती विवाहीत होता !!
आपल्याला मारुती नाव काढल्यावर एकटा दिसणार, दुसऱ्या देवांसारखा पत्नीबरोबर दिसणार नाही. आपणास तसे पाहायचे असेल, तर आंध्र प्रदेशातील खम्माम जिल्ह्यात जावे लागेल. तेथे मारुतीचे एक प्राचीन मंदिर आहे. हे एकमेव मंदिर आहे. जिथे मारुती आपल्या पत्नी समवेत आहे.
मारुतीने विवाह का केला ?
अशी आख्यायिका आहे की, जेव्हा मारुती त्याचे गुरू सूर्य, ह्यांच्याकडून विद्या शिकत होते, तेव्हा त्याला ९ विद्यांपैकी ५ विद्या शिकवल्या, पण शिल्लक ४ विद्या शिकण्यासाठी विवाहीत असणे गरजेचे होते. (तशी अटच असते.) आजीवन ब्रह्मचारी राहाण्याचे व्रत घेतलेला मारुती खूपच बेचैन झाला. शिष्याला द्विधा मनस्थितीत पाहून सूर्यदेवांनी सांगितले की, तु माझ्या मुलीशी विवाह कर. सूर्यदेवांची मुलगी सुवर्चला तपस्विनी होती. मारुतीबरोबर विवाह करून सुर्वचला परत तपस्या करायला गेली. अशा प्रकारे मारुतीने विवाहाची अट पूर्ण केली होती आणि ब्रह्मचारी राहाण्याचे व्रतही पाळले होते. मारुतीच्या या विवाहाचा उल्लेख पराशर संहीतेमध्ये आहे.
खम्माम या ठिकाणी विवाहीत जोडप्याने येऊन त्या सपत्निक मारुतीचे दर्शन घेतले, तर त्या दांपत्यामध्ये प्रेम, सुख-शांती नांदते, अशी धारणा आहे.
अष्टसिद्धी असलेला, मनोजीवी व बुद्धीमंतांत श्रेष्ठ हनुमान:-
'भारतीय योगशास्त्रातील
१. अणिमा,
२. महिमा,
३. लघिमा,
४. गरिमा,
५. ईशित्व,
६. वशित्व,
७. प्राकाम्य व
८. प्राप्ती या अष्टसिद्धी होत.
या सिद्धींद्वारे साधक आपले शरीर हवे तेवढे लहान, मोठे, जड, हलके, सूक्ष्म व विशाल करू शकतो.
उपासना करून हनुमानाने या सर्व सिद्धी प्राप्त केल्या होत्या व त्यांचा उपयोग सीतेचा शोध घेण्याच्या प्रयत्नात कुशलतापूर्वक केलेला आपणास दिसतो.
हनुमान हा मनोजीवी (मनाच्या वेगाने जाणारा) व बुद्धीमंतांत श्रेष्ठ होता.
ज्या स्त्रीला पूर्वी कधीही पाहिलेले नाही, तिचा शोध परक्या, अनोळखी राज्यात व तेही बलाढ्य सत्ताधिशाच्या प्रदेशात जाऊन एकट्याने घेण्याचे अतिशय कठीण आव्हान त्याने स्वीकारले होते.
यावरून त्याच्या बुद्धीचे श्रेष्ठत्व व आत्मविश्वास यांची कल्पना आपणास येते.
१. अणिमा,
२. महिमा,
३. लघिमा,
४. गरिमा,
५. ईशित्व,
६. वशित्व,
७. प्राकाम्य व
८. प्राप्ती या अष्टसिद्धी होत.
या सिद्धींद्वारे साधक आपले शरीर हवे तेवढे लहान, मोठे, जड, हलके, सूक्ष्म व विशाल करू शकतो.
उपासना करून हनुमानाने या सर्व सिद्धी प्राप्त केल्या होत्या व त्यांचा उपयोग सीतेचा शोध घेण्याच्या प्रयत्नात कुशलतापूर्वक केलेला आपणास दिसतो.
हनुमान हा मनोजीवी (मनाच्या वेगाने जाणारा) व बुद्धीमंतांत श्रेष्ठ होता.
ज्या स्त्रीला पूर्वी कधीही पाहिलेले नाही, तिचा शोध परक्या, अनोळखी राज्यात व तेही बलाढ्य सत्ताधिशाच्या प्रदेशात जाऊन एकट्याने घेण्याचे अतिशय कठीण आव्हान त्याने स्वीकारले होते.
यावरून त्याच्या बुद्धीचे श्रेष्ठत्व व आत्मविश्वास यांची कल्पना आपणास येते.
3.
पहली बार हनुमान चालीसा को मुझे किसी ने अंग्रेजी में अनुवाद कर भेजा हे जिसे में आपको शेयर कर रहा हु।
First time Hanuman Chalisa translated in English....aap sab padhe aur anandit ho!!
श्रीगुरु चरन सरोज रज बी
In the Lotus feet of my teacher/Guardian
निज मन मुकुर सुधारि।
I purify the mirror of my heart
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
I illustrate the story of immaculate Rama
जो दायकु फल चारि॥
which bestows four fruits (The 4 Purusharth : desire, prosperity, righteousness, liberation)
बुद्धिहीन तनु जानिकै
Considering myself as frail & unwise
सुमिरौं पवनकुमार।
I contemplate Son of Wind (Hanuman)
बल बुद्धिविद्या देहु मोहिं
to impart power, knowledge & civilization
हरहु कलेश विकार ॥
& to eradicate all the miseries of life.
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
I glorify lord Hanuman, the deep sea of knowledge & virtues
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
I glorify The Monkey man "Vanara", who lightens the three worlds (earth, atmosphere & beyond)
राम दूत अतुलित बल धामा।
I glorify the faithful envoy of lord Ram,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
who is also known as son of anjana (anjaniputra) & wind's son (pavansuta)
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
You are the distinguished warrior, the courageous & possess strength as "Indra's vajra"
कुमति निवार सुमति के संगी॥
You demolish despicable mind and befriend fine intellect
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
being gold complexioned he dwells in his handsome form
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
You adorn earrings & curly hair.
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
You hold "Vajra" in one hand & flag in the other
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
You adorn the sacred thread "Janeu" prepared by "Munja grass" on your shoulder
शंकर सुवन केसरी नंदन।
You are the delight of Shiva, the son of Kesari
तेज प्रताप महा जग बंदन॥
You possess a majestic aura & are admired by the whole world
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
You are the laudable abode of the eighteen types of Vidya
राम काज करिबे को आतुर॥
You are always willing to serve lord Rama
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
You adore listening Lord Rama's legends
राम लखन सीता मन बसिया॥
You reside in the heart of Rama, his wife Sita & his younger brother Lakshman.
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।
You searched Sita by adorning the miniscule form
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
And you set gold made Lanka ablaze by appearing in an outsized form
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
You destroyed all the demons by taking horrendous form
रामचन्द्र के काज सँवारे॥
And that is how you performed all the deeds of Sri Rama.
लाय सँजीवनि लखन जियाए।
You carried the Dronagiri Mountain from Himalayas, which contained Sanjeevani to Lanka and saved Lakshman.
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥
Elated by this act Sri Rama embraced you.
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
Rama applauded many times.
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
Rama even said that you are dear to him just like his brother Bharat.
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
Thousands of people will pay tribute to you
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
Saying this; Rama again embraces you
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
Many saints like Bhramha & Munisha
नारद सारद सहित अहीसा॥
Narad & Sarad have blessed Hanuman.
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते।
Yama Kuber & Dikpal
कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥
Kavi & Kovid, none could elucidate Hanuman's glory.
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
You were extreme benevolent to Sugreev
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
Befriended him with Rama & acquired him his Kingdom Kishkindha
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
Even Vibhishan endorsed your mantra, as a result, became king of Lanka
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
Ravan, former king of Lanka, was scared of you.
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
Sun, which is at thousands of distance from Earth
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
You swallowed it believing it to be a syrupy fruit.
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
Placing the ring in your mouth
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
Its not astounding that you leaped the ocean
दुर्गम काज जगत के जेते ।
The obscure tasks of the world
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
were achieved by your grace
राम दुआरे तुम रखवारे।
You are the concierge & guardian of Rama's court
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
No one can enter in his court without your consent
सब सुख लहै तुम्हारी शरना।
All pleasures are attained by your refugee
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
No fear can abode the one whom you protect
आपन तेज सम्हारो आपै ।
Once you commemorate your powers
तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥
all three world's start trembling with fear
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
Evil spirits can not disturb
महाबीर जब नाम सुनावै॥
when one sings your hymns & remembers you.
नासै रोग हरै सब पीरा।
you destroy all the ailments & take away all the pessimism
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
of those who regular remember you.
सब पर राम तपस्वी राजा।
Though Rama is the Supreme Being
तिन के काज सकल तुम साजा॥
you accomplish all his tasks.
और मनोरथ जो कोई लावै।
If anyone ever desires for something
तासु अमित जीवन फल पावै॥
You fulfill his desires manifolds
साधु संत के तुम रखवारे।
You are Saints & the one who meditates protector
असुर निकंदन राम दुलारे॥
You slay demons & are dear to Rama
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
You possess eight supernatural powers & nine treasures
अस बर दीन्ह जानकी माता॥
and this has been granted to you by Rama's wife Sita.
तुम्हरे भजन राम को पावै।
Whoever sings your hymns directly possess the Supreme Being, Rama
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
and gets rid of all the adversities & negativities of life.
अंत काल रघुबर पुर जाई।
The one who is y our devotee, goes to the Supreme being's abode after his body death
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
And when they are reborn after that, they are always known as God's devotees
और देवता चित्त न धरई।
Anyone who does not prayer to any other God
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥
but only to you, even he attains all the treasures of life ( generally it is said that every god imparts something or the other)
संकट कटै मिटै सब पीरा।
All the ailments vanish & one is relieved from all the adversities
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
once when someone becomes your devotee & remembers you.
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
I praise the victorious , the master of all senses, Hanuman
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
just like guru showers his blessings on his disciple, shower me with your blessings
जो शत बार पाठ कर कोई।
The one who recites this hymn 100 times
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
All his troubles vanish & he gains all the life's treasures.
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
Who ever recites this Chalisa
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
obtains all the powers & lord Shiva is the witness of this.
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
Tulsidas, who is the writer of this Chalisa, will always remain you disciple
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
and he prays to the lord enshrine in his soul always.
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
I call upon son of wind, an auspicious form to remove all miseries of my life
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
I pray to you to reside in my heart with Rama, Sita & Lakshman.
"RAM RAM JI"
4.
Maruti Stotra
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरण्यम् प्रपद्द्ये.
5.
Lyric of famous Marathi song on Hanuman:
अंजनीच्या सुता तुला रामाचं वरदान
एक मुखाने बोला बोला जय जय हनुमान
दिव्य तुझी राम भक्ती भव्य तुझी काया
बालपणी गेलासी तू सूर्याला धराया
हादरली ही धरणी, थरथरले आसमान
लक्ष्मणा आली मुर्च्छा लागुनिया बाण
द्रोणागिरीसाठी राया केले तू उड्डाण
तळहातावर आला घेऊनी पंचप्राण
सीतामाई शोधासाठी गाठलीस लंका
तिथे रामनामाचा तू वाजविला डंका
दैत्य खवळले सारे परि हसले बिभिषण
हार तुला नवरत्नांचा जानकीने घातला
पाहिलेस फोडुन मोती राम कुठे आतला
उघडुनी आपली छाती दाविले प्रभु भगवान
आले किती गेले किती संपले भरारा
तुझ्या परि नावाचा रे अजुनी दरारा
धावत ये लवकरी आम्ही झालो रे हैराण
धन्य तुझे रामराज्य धन्य तुझी सेवा
तुझे भक्त आम्ही सारे उपाशी का देवा
घे बोलावून आता कंठाशी आले प्राण
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